Friday 3 February, 2012

प्रभात


आज प्रभात वेला में
जब मैं ध्यानावस्था में बैठी तो
पहले कोणार्क और खजुराहो मदिर के
भग्न भित्तियों की भृत्य नायिकाएँ
सामने आई और कहने लगी
आत्मा केवल परमात्मा से प्यार कर सकती है ।
तुम कहाँ हो ?
मायाजाल -जंजाल से ऊपर उठो
फिर देखो दुनिया स्वर्ग है
एक ने कान में कहा
उठते और सोते 108 गायत्री मंत्र पढ़ो
फिर देखो मन शांत और स्वस्थ होगा
मैंने कोशिश की
परमात्मा के उस प्यार पाने की
बहुत अच्छा लगा
वाकई आज सुबह मेरा नया जन्म हुआ
मैंने ईश्वर को मेरी गोद में पाया
नर में मुझे नारायण मिले
राधा और मीरा को अपने भीतर देखा
मुझे लगा सबसे बड़ी कविता
अध्यात्म है और उसके सिवा
केवल शब्दों की हेराफेरी
और वाग्मिता की मरीचिका
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