Sunday 8 July, 2012


आदमी 


पत्थरों की इस दुनिया में 

पत्थर दिल इंसान बसते हैं 
पत्थर को भगवान् मानते हैं 
अपने अंदर शैतान पालते हैं 
असलियत को छुपा 
चेहरे पर नकाब पहनते हैं 
वैशियत में औरत को 
खिलौना जानते हैं 
उसके जिस्म को पाने को 
हर पल ललचाते हैं 
मिट्टी की देह को पाना चाहते हैं 
आदमी की नासमझी तो देखो ! 

जो इक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगी 
इस देह में इक आत्मा , इक हृदय भी बसते हैं 
जिसे ना पानी , ना हवा छू सकते हैं 

हिम्मत है, तो उस आत्मा को छू कर दिखा 
उसके हृदय में अपना घर बना कर दिखा 
फिर देख वह अपना पूरा जीवन तेरे नाम कर देगी 
अपनी देह का हर कण तुझ पर कुर्बान कर देगी 

आत्मा के मिलन को तो मौत भी छू न पाए  
जिसे  समझ  तूँ सच में आदमी  बन जाए  

उस क्षण तेरी आत्मा परमात्मा में घुल जाएगी 
जन्म - मरण की तेरी यात्रा पूर्ण हो जाएगी