मेरा प्यार
तुम्हारे मिलने से मिलीदिवाकर की वह किरणजो मेरी आँखों में खोकरअसीम हो गईसच मेंतुम मिली औरमैं उजालों से भर गयाइन अंधेरी रातों में.
मरुस्थल की मरीचिकाक्या कहूँतुम ही वह नाम होजिसने खोला मेराबंद-कमरा .
ओह मेरी प्रियआज गुमसुम क्यों हो ?जिंदगी निस्तेज ?प्रेम के शुष्क-पेड़पर पक रहे रक्तबीजों सेरक्तिम यादों के फूलों कायह बसंत मेरा खूनी होगा ?
कहाँ हो तुम ?कहो नइतने दिनों के बाद मिलीफिर गायबकहाँ-कहाँ नहीं खोजा मैंनेमोबाइल ,जीमेलफेसबुक ,ऑरकुट से लेकरहिमालय की तराई तकसब टटोली मैंने राहेंतुम नहीं मिली .
कितना असहज था मैंअपनी खटोली मेंकहते हुए यह पहली बारकि करता हूँतुमसे प्यार।
जाने कितनी बारइसे कहने से पहलेचिपकी थी जबान तालू सेऔर मैं -न चाहकर भी चुप रह जाता था
और अबकितना-आसानसामान्य-सा लगता हैयह कहनाकिकरता हूँ मैं तुमसे प्यार।
याद है-तुमने कहा थामुझसे क्या पूछते हो,पूछो ?
कुछ भी नहीं बाकी अबमेरा यह चुप रहनाऔर मेरी आँखों काझुक जानालगता नहीं है क्या तुमकोमेरा मौनसमर्पित स्वीकार।
क्या कर सकती होअब अंगीकारमेरा प्यार ?
तुम्हारे मिलने से मिली
दिवाकर की वह किरण
जो मेरी आँखों में खोकर
असीम हो गई
सच में
तुम मिली और
मैं उजालों से भर गया
इन अंधेरी रातों में.
मरुस्थल की मरीचिका
क्या कहूँ
तुम ही वह नाम हो
जिसने खोला मेरा
बंद-कमरा .
ओह मेरी प्रिय
आज गुमसुम क्यों हो ?
जिंदगी निस्तेज ?
प्रेम के शुष्क-पेड़
पर पक रहे रक्तबीजों से
रक्तिम यादों के फूलों का
यह बसंत मेरा खूनी होगा ?
कहाँ हो तुम ?
कहो न
इतने दिनों के बाद मिली
फिर गायब
कहाँ-कहाँ नहीं खोजा मैंने
मोबाइल ,जीमेल
फेसबुक ,ऑरकुट से लेकर
हिमालय की तराई तक
सब टटोली मैंने राहें
तुम नहीं मिली .
कितना असहज था मैं
अपनी खटोली में
कहते हुए यह पहली बार
कि करता हूँ
तुमसे प्यार।
जाने कितनी बार
इसे कहने से पहले
चिपकी थी जबान तालू से
और मैं -
न चाहकर भी चुप रह जाता था
और अब
कितना-आसान
सामान्य-सा लगता है
यह कहना
कि
करता हूँ मैं तुमसे प्यार।
याद है-
तुमने कहा था
मुझसे क्या पूछते हो,पूछो ?
कुछ भी नहीं बाकी अब
मेरा यह चुप रहना
और मेरी आँखों का
झुक जाना
लगता नहीं है क्या तुमको
मेरा मौन
समर्पित स्वीकार।
क्या कर सकती हो
अब अंगीकार
मेरा प्यार ?
Interesting and Spicy Love Story, Pyar Ki Kahaniya and Hindi Story Shared By You Ever. Thank You.
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