इस दिल को करार मिले तो मिले कैसे
इन हालात में चाहत खिले कैसे
कौन किसे कसूरवार ठहराए यहाँ ...........
इस दर्द से निजात मिले तो मिले कैसे
इन जख्मों को कोई सिले कैसे
मरहम भी बेअसर हो गई यहाँ ..............
उनकी तस्वीर में रंग भरे तो भरे कैसे
इन आँखों से मोती पिरोये कैसे
रौशनी भी बेपरवाह हो गई यहाँ ..............
इस छटपटाहट को मुक्त करें तो करें कैसे
पंछियों की ऊँची उड़ान दिखे कैसे
पंख भी मुरझा गए हैं जो अब यहाँ .......................
चेहरे की वीरानियों को कोई पढ़े तो पढ़े कैसे
रूह की खामोशियों को कोई सुने कैसे
बेवफाई का दौर चल पड़ा जो यहाँ .................
तकदीर की लकीरों को पढ़ें तो पढ़ें कैसे
इन हाथों पर मेहंदी सजे कैसे
हथेलियों पर पड़ गये छाले यहाँ ..................
प्यार भरे नगमे सुने तो सुने कैसे
इन टूटती साँसों को हरा करे कैसे
जुदाई की शाम ढलती ही नहीं यहाँ ...................
उजडें चमन में बहार दिखे तो दिखे कैसे
"माली " की बगिया में फूल खिले कैसे
पतझड़ में लुटी लताएँ सब .यहाँ ..........................
खूब .... उम्दा पंक्तियाँ रची हैं
ReplyDeletethanks sanjay ji
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