वियोग में भी योग छुपा होता है
पुनर्मिलन का संयोग छुपा होता है
दूर जाने की वेला आ रही जैसे पास
विरह की चिता में जल रही उदास
मिलन के बाद विछोह अक्सर होता अधिक पीड़ादायक
इक- इक पल बिन साजन होगा कष्टदायक
उड़ चले दो यान विपरीत दिशाओं में
इक पूर्व और इक पश्चिम की ओर
झरनों का वक्ष स्थल भी होने लगा कठोर
बादल के सीने में घुमड़ रहा था धुआं
बदली के मिलन को वो भी तड़प उठा
शीशे के पीछे पर्वत पर झुकी घटाएं
जैसे साजन के चेहरे पर थी लटाएं
उत्तर की पर्वत श्रंखला चल रही साथ- साथ
पीछे अपना सब छोड़ आई साजन के पास
माथे का टीका, कानों की बाली
आँखों का कजरा ,होंठों की लाली
कोहरे के आवरण में लिपटी स्मृतियाँ
आँखों में धूमिल रक्त रंजित कृतियाँ
सोच -सोच कब होगी प्रियतम से मुलाक़ात
कैसे भूलेगी मिलन की वो सुनहरी रात
करने को अपने मन मंदिर के देवता की साधना
अश्रु पुष्पों से करने लगी भगवान् से प्रार्थना
वियोद में भी योग छुपा होता है
पुनर्मिलन का संयोग छुपा होता है
Acche Viyug Rash Ka Varnan Aapke Dwara. Padh Le Achha Laga.
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