सांवली सलोनी सूरत वाला
अलबेला अंजाना सा
वो और कोई नहीं
मेरा दीवाना है ...........
हर अदा , हर वफ़ा उसकी
दुनिया से निराला है
पत्थर में जान डाल दे
रोते को हंसाने वाला है
वो और कोई नहीं
मेरा दीवाना है ...........
अपनी बातों से अपनी सादगी से
जीत ले दिल किसी का भी
ख़ुदा का भेजा फरिश्ता
लगता नहीं बेगाना सा
वो और कोई नहीं
मेरा दीवाना है ...........
थोड़े पलों में वो बन बैठा
दिल का पैमाना है
जिन्दा दिली की अजब मिसाल
वक्त को झुकाने वाला है
वो और कोई नहीं
मेरा दीवाना है ...........
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वाह क्या बात है । बहुत सुन्दर । बहुत दिन बाद आपकी एक कविता पड़ने को मिला
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