आज की नारी
आज की नारी
स्कूटर से लेकर
चलाती फरारी
आज की नारी
स्कूटर से लेकर
चलाती फरारी
जमाने के जुल्मों सितम
से फिर भी हारी
आज की नारी
साइंस से लेकर
एम्. बी. ऐ .तक
करती पढ़ाई सारी
समाज के झूठे रीति - रिवाजों
से रही किस्मत की मारी
आज की नारी
बच्चों के जन्म से लेकर
करती सब काम भारी
दुर्गा का रूप
त्याग की मूर्त
जिसकी ममता
जग से न्यारी
आज की नारी
बच्चों को स्कूल छोड़ने से लेकर
खरीदती भाजी तरकारी
माता पिता की लाडली
ससुराल को फिर भी लगती
नहीं प्यारी
आज की नारी
घर से लेकर
आफिस तक लेती सब जिम्मेवारी
पुरुष के अहम् के आगे
टकराती
बारी- बारी
आज की नारी
स्कूटर से लेकर
चलाती फरारी
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