" देव- भूमि"
इस गर्मी की छुट्टी हम चले पहाड़ों की सैर
ऐसा लगा मानो पहाड़ों पर बादल रहे तैर
आने लगे ठंडी- ठंडी हवा के झोंके
ए.सी. , कूलर भी हैं जिसके आगे फींके
हिमाचल जो कहलाए धरती पर " देवभूमि"
मैदानों पर पड़ रही होती जब भीष्म गर्मी
हर मोड़ पर लगा है संकेतक साइन बोर्ड
देकर चलो हार्न ,आगे है तीव्र मोड़
इक तरफ ऊँचे पहाड़ तो इक तरफ गहरी खाई
किसे ना मनमोहक पहाड़ी झरनों की छटा भाई
दूर इक पहाड़ी पर चरवाहा था भेड़ें चराए
हैरान हूँ बिन सीड़ी ,रास्ते कैसे वहाँ चढ़ जाए
घुमावदार सड़कों पर सर खा ना जाए चक्कर
ओवर टेक ना करो तंग सड़क पर हो ना जाए टक्कर
छोटी पहाड़ी पर इक था छोटा सा शिवालय
कोहरे के आलिंगन में था पर्वत हिमालय
बर्फ से ढकी ऊँची चोटियाँ नव दुल्हन की तरह निर्मल
पर्वत मालाएं हैं देवताओं के वास से उज्जवल
कहीं हैं बांस के वृक्ष तो कहीं लम्बे- लम्बे देवदार
इक पल में धूप खिले तो इक पल में बरखा की मनुहार
कानों में रस घोल रही पक्षियों की आवाजें मनमोहक
रैन बसेरों की रोशनी लगे मानों तारें रहे हो चमक
यहीं पर दिखता धरती -गगन के मिलन का अद्दभुत नजारा
जहाँ सूरज की पहली किरण से फ़ैल रहा नव उजयारा
मन चाहे कि बना ले हमेशा का यहीं इक आशियाना
कुदरत ने मानों यहीं बिखेरा अपना सारा खजाना
इस गर्मी की छुट्टी हम चले " देव भूमि"
bahoot sunder rachana
ReplyDeleteIt's an awesome thought on natural habitats that is very well composed. It is worth appreciating. Alka Ji writes very well and has composed many good Poems and that is why she is known widely for her wisdom & literary pursuit. She has tried her best in this Poem to project nature & its surroundings in the best possible manner. She deserves all praise & banquets from us. Thanks for sharing.
ReplyDeleteAlka ji kisi bi cheez ko describe karne ke liye jo shabad aap chunti hai..us ka koi jwab nai ji...
ReplyDeleteaap ne toh hamen himachal ki sair hi karva di. bahut khoob alka ji. agar angrezi ya punjabi me hoti toh main isse path pustak me shamil karta, jiska main compiler hun. bahut hi acha laga pahr kar.
ReplyDeletegood evening!!!!
ReplyDeleteaapke in sundar sabdo ke sath Himachal ki sair achhi hai...bahut hi achhi hai... thanks
Alka ji muze apni himachal trip appki kavita padne ke baad ab or achhi lagne lagi...........
ReplyDeletebahut khb
ReplyDeleteAlka Ji! Very nice and excellent narration of Dev Bhoomi...while reading, it appears that we are also accompanying u and enjoying the journey..... I am fortunate to visit Shima, Kullu, Manali, Baijnath, Palampur and other places of interest in H.P. several times. Coincidently, I got my first Govt job also in the 'Valley of the gods', at 'Naggar'- a most beautiful and holy place between Kullu and Manali.
ReplyDeletevey i nice poem it attracts for shimla
ReplyDeleteअलका जी , बहुत ही सुंदर प्रस्तुति...........ऐसा सजीव वर्णन की जल्द देखने की इच्छा है.
ReplyDeleteफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी