" इष्ट देव "
तुम.. मेरे जीवन दाता
...मेरे प्राणों के त्राता
मेरे भूखंड की बगिया के तुम माली
दर से तुम्हारे जाए ना कोई खाली
किरण तुम्हारी पहली वक्ष को मेरे जब सहलाए
ताप से तुम्हारे रात की औंस भी पिघल जाए
स्पर्श से तुम्हारे मेरा रोम- रोम पुलकित हो उठे
सीने में मेरे इन्द्रधनुष के सातों रंग खिल उठे
हृदय से छनकर पैगाम तुम्हारा जब आता है
गर्भ में मेरे कई नवजीवन खिला जाता है
मेघ का आवरण जब चेहरा तुम्हारा छुपा लेता है
दर्द विरह का रक्त रंजित आँखों में मेरी उतर जाता है
ढलती शाम तुम्हे क्षितिज पार मुझ से परे जब ले जाए
सीने की मेरी धधकती ज्वाला भी बुझ जाए
लालिमा तुम्हारी सुबह सवेरे जब मुझे जगाए
वजूद मेरा तुम्हारे वजूद में मिल जाए
जीवन धारा के हम चाहे अलग दो किनारे हैं
तुम्हारे प्रेम के रस में भीगे मेरे अलग नजारें हैं
सर्द रातों में मन मेरा तुम्हारी गर्म साँसों को तरसता
मेरी निर्जन आँखों से घायल हृदय का लहू बरसता
कोहरे भरी रातों में पूर्णिमा की चांदनी ना भाए
चमकते हुए तारों की परछाई भी मुझे डराए
मै धरा, तुम मेरे इष्ट देव
... bahut badhiyaa ... behatreen !!!
ReplyDeleteVery Good, Mam
ReplyDeleteYou r genius in your poems. They said that " Beauty is the mixture of intelligence. " is quote is very fit in your poems. Evey indian should be saluted on your these selected rhymes.
Regards;
Your Next Poem's Waiting Man
Rahul Singh
aap ke kavita bahut ache hai alkaji,really aap great ho,mai aap ke aane wale aagle kavita ka intzar karunga, thanks, all the best
ReplyDeleteअद्भुत रचना..... अलका जी बहुत बहुत बधाई ....
ReplyDeleteLovely poem Alka ji ..
ReplyDeleteIt's a very lovely & thoughtful presentation worth emulatig in one's life.
ReplyDeleteबहुत खूब....अलका सैनी जी...बहुत खूब.... कहा आपने...
ReplyDeleteसर्द रातों में मन मेरा तुम्हारी गर्म साँसों को तरसता
मेरी निर्जन आँखों से घायल हृदय का लहू बरसता
कोहरे भरी रातों में पूर्णिमा की चांदनी ना भाए
चमकते हुए तारों की परछाई भी मुझे डराए
मै धरा, तुम मेरे इष्ट देव
तस्वीर का मिलन भी बहुत ही खूबसूरत है......एक और सफल रचना के लिए बधाई स्वीकार करें....!
अद्भुत रचना..... अलका जी बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteBahut Achchhi Rachna Alka Ji Ye Jo Samarpan,Ye Jo Arpan,Ye Jo Aaradhan Hai Yahi Prem Aur Sharishti Ka Aadhar Bindu Hai...
ReplyDeletebemisal rachana badhai
ReplyDeleteVery Good and Heavenly
ReplyDeleteVery Nice...wonderful....congraulations..BAhut Hi Achha Likha Aapne....!
ReplyDeletevery nice, touching and marvellous poem.
ReplyDeleteप्रेम जब अपने ऐश्वर्य की उच्चता को छूकर अध्यात्म की सीमा में प्रवेश करता है उस क्षण के भावों को सुन्दरता के उद्धृत करने के लिए अलका जी आप प्रशंसा की पात्र हैं । आपको बहुत बहुत बधाई हो अलका जी । आगे भी आपसे ऐसे ही उत्कृष्ठ रचनाओं की आश है .....बहुत बहुत शुभकामनाऍं ..........
ReplyDeleteyour poem Isht Deo is heartly impressive ,ihave no words to explain it
ReplyDelete