"गरीब की झोंपड़ी "
गरीब की झोंपड़ी में चूल्हा जले हर दिन
यह जरुरी तो नहीं !
चूल्हे में तेल नहीं तो कभी जलने को आग नहीं ,
खाने में अन्न नहीं तो कभी रोटी को साग नहीं !
सब्जी में नमक कम तो कभी चाय में चीनी कम ,
ना तो उच्चताप का दम ,ना ही शूगर का गम !
चुटकी भर नमक के साथ,कभी मुट्ठी भर भात है ,
भूखे पेट भी होता नींद का आघात है !
हर दिन भूख तो है पर भूख का इंतजाम नहीं ,
मोटापा कम करना पड़े ,कसरत का अंजाम नहीं !
पेट की आतें सूख कर हो गई चने का झाड़ ,
चूल्हे की लकड़ी ढोना भी बन गया पहाड़ !
इक दिन आया ऐसा जब सेठ हो गया मेहरबान ,
ख़ुशी से वह बोला देखो, मै क्या हूँ लाया , भाग्यवान !
उस रोज अन्न था भरपेट,जली चूल्हे में आग भी खूब ,
पति- पत्नी इक दूजे में मग्न ,प्यार की नींद में गए ढूब!
रात में चला ऐसा तूफ़ान ,आग की लपटे छूने लगी आसमान ,
नींद में खोया सारा जहान,किसे पता झोंपड़ी बन गई शमशान !!
गरीब की झोंपड़ी में चूल्हा जले हर दिन
यह जरुरी तो नहीं !!!
bahut acha likhte ho ji thanx
ReplyDeleteap ek achi soch rakhti ho. aaj be bahut nari es samaj me bas dukhi hai jo kisi ko apny man ki baat tak nahi kah sakti
ReplyDeleteap ka hindi shatiya me acha ruchan hai........ow bhi nari ke prati..
ReplyDeleteSo deep meaning of it , really a heartfelt story !! Like to read more like this !! Very Nice & Great >>> Mamdamji.
ReplyDeleteJindagi ki sachchayi ka is se achha bayan aur ho hi nahi sakta. Very very nice creation........thanx for share with us these valuable things.....
ReplyDeleteye kadwa sach ha but aaj gareeb ki kon sunta ha sirf election k time ko chod kar ji..i like it, wonderful..
ReplyDeleteपर फसादों में घर सबसे पहले गरीब का ही जलाया जाता है
ReplyDeleteits so touching ....made evryone to think once
ReplyDeletenice thghts and special way to pen down in special way, Bahut achhe....Woderful
ReplyDeletewat a feelings u have let me tell a gorgeous lady have a lovely kind full feelingfull helpful joyous thikful heart. i feel proud glad n pleasure. cause some one like u have even time to thikover ths issue. may god reward u more n more. more than yesterday more than today n better than tomorrow.
ReplyDeletei like it lovely lady
thanks
ReplyDeletei hope you continue to your on path of writing
wish you all the best
ati uttam
ReplyDeleteरात में चला ऐसा तूफ़ान ,आग की लपटे छूने लगी आसमान ,
ReplyDeleteनींद में खोया सारा जहान,किसे पता झोंपड़ी बन गई शमशान !!
गरीब की झोंपड़ी में चूल्हा जले हर दिन
यह जरुरी तो नहीं !!!
sahi to kaha aapne...
garibi ke dard ko ukera aapne
sarvottam!
बहुत मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteगरीब के जीवन की कठिनाइयों को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने अपनी रचना में ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeletebahut shashakt aur gambhir rachna...
ReplyDeletesunder rachna !
ReplyDeleteओह !
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति.
ReplyDeleteमन को छू गई.
बेहद मार्मिक चित्रण्।
ReplyDeleteवाह.....
ReplyDeleteकविता जीकर कविता लिखना यही है....
गरीब की जिंदगी का पूरा खाका खींच कर रख दिया ........
भाव और सोच ज़मीनी हैं ......यही असली कविता है
कलम अबाध चलती रहे ..
गरीब की झोंपड़ी में चूल्हा जले हर दिन
ReplyDeleteयह जरुरी तो नहीं !!!
मार्मिक प्रस्तुति.
मन को छू गई.
गरीब की झोंपड़ी में चूल्हा जले हर दिन
ReplyDeleteयह जरुरी तो नहीं !!!
बहुत मर्मस्पर्शी सुन्दर रचना..
सच कहा आपने .. गरीबी एक अभिशाप है, गरीबों का अंत तो हो रहा है बार बार पर गरीबी का नहीं । बहुत मार्मिक प्रस्तुति ।
ReplyDeleteprabhavshali chitran kiya hai gareeb ki jindgi ka. sunder abhivyakti.
ReplyDeleteपर फसादों में घर सबसे पहले गरीब का ही जलाया जाता है
ReplyDeletepad kar aankh mein aansu a jate hain...........ek garib ki dastan,bhagwan k ishare ka pta nhi chalta woh ek aamir ko garib aur garib ko aamir bnane mein waqt nahi lgata.
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