"मनमीत "
आँखें लगी कब से तेरी राहों में ,
कब लोगे अपनी पनाहों मे ,
काजल बिन कजरारे हो गए नैन,
जबसे बसे हो तुम निगाहों में !
सतरंगी बिखर गई फिजाहों में ,
सावन के झूलें तेरी बाहों में ,
गजरे की महक कर रही बेचैन,
प्रेम रस बरसे काली घटाओं में !
भटक रहे थे कब से गुनाहों में,
सजदे खुदा के तेरी बलाओं में ,
रातों को नींद ना दिन को चैन,
मर मिटे हम तेरी वफाओं में !
सतरंगी सुर बज उठे हवाओं में ,
सपने बुन बैठे तेरी अदाओं में ,
तेरी छूअन का ख्याल कर दे बेचैन
मन्नत मांगे मिलन को दुआओं में !
Bahut hi achha lika he ji
ReplyDeletewow Mam, it's amazing n Superb .......!
ReplyDeletevry awsome mam................
ReplyDeletedear mam so toching ,so loveable ,so close to heart . u r really a loveable lady .god bless
ReplyDeletetouched my heart n soul
ReplyDeletehridayasparshi alka
ReplyDeleteaankhen lagi kab se teri raho me..so very thematic yet so very true..none of us can deny he or she had never been through the anxiety of wait of loved one..yeh it is well said intzaar sabse muskil kaam h..but iski value whi samaj skta h jisne pyaar me apne ka intzaar kiya h usko paya h..alka congrats..keep it up..all d very best..
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