"इक रात की दुल्हन "
इक रात की दुल्हन ,राहें हैं मेरी ठहरी- ठहरी
हृदय समुन्द्र सा विशाल,आँखें "झील"सी गहरी,
ना ही मेरा कोई रास्ता, ना ही कोई किनारा
चाहकर बह ना पाऊं बनकर नदी की धारा,
ना ही मेरी कोई मंजिल, ना मुझ तक कोई आए
पुरवई हवाएँ समुन्द्र का पैगाम देकर जाएँ,
मै इक रैन बसेरा, हृदय में किसी के ना डेरे
हुस्न मेरा हर रात को नव छटा बिखेरे ,
हर कोई मेरे रूप सलोने के गुण गाए
चाहत मेरी की गहराई का कोई पार ना पाए
अनेकों सैलानी हर दिन आके मन अपना बहलाए
जल मेरा फिर भी किसी की प्यास बुझा ना पाए,
काली खुश्क रातों में जिस्म वीरानों में भटकता
पलकों से मेरी जलते घावों का लहू टपकता,
मेरे दिल का हर टुकड़ा दर्द की इक दास्ताँ
तूफानों में घिरा है मेरे भू-स्थल का गुलिस्ताँ ,
रूह मेरी क़यामत की उस रात को तरस जाए
जब मन मंदिर के देवता मेरा हर आंसू अपनाए,
सदियों से बैठी हूँ बनकर श्वास- हीन धारा
इक रात की दुल्हन,मन आस्मां सा ठहरा..
very nice alkaji.nari ke bina jivan hi nahi hai fir bhi nari ke bare me bahut sunder sach hai
ReplyDeleteAmit Prajapati अलका जी आपकी हर रचना लाजवाब होती है ....भगवान आप पर अपने अनन्य प्रेम बरसाता रहे ......बहूत बहुत शुभकामनाऍं .......
ReplyDeletewah kya likha hai very nice alka ji
ReplyDeletewah wah kya bat hai
ReplyDeleteअलका जी बहुत सुन्दर रचना है ! धन्यवाद
ReplyDeleteexcellent poem
ReplyDeletevery good poem
ReplyDeletebeautiful line...............
ReplyDeleteAwesome . . . . . . . . . . . . .hrt touchng lhnes . . . .
ReplyDeleteमै इक रैन बसेरा, हृदय में किसी के ना डेरे
ReplyDeleteहुस्न मेरा हर रात को नव छटा बिखेरे ,
क्या बात है, "एक रात की दुल्हन" की सच्चाई, भावनाएं अउर दर्द आपने अपनी इस कविता में उकेर के रख दिया है पूरी इमानदारी के साथ. मैं आपके दिल में इस कविता की अदृश्य नायिका के प्रति आपकी भावनाओं को यहाँ बैठ कर भी महसूस कर सकता हूँ. जानती हैं अलका जी ? आप में इंसान की भावनाओं को "महसूस" करने की अनूठी क्षमता है जो बहुत ही कम कवियों में देखने को मिलती है. आपकी रचनाओं में मात्र कल्पना की उड़ान नहीं होती बल्कि भावनाओं को परखने की क्षमता होती है.
मैने पाया है.....आप अपने व्याकुलताओं को सुन्दर शब्दों के मोती से पिरोती हैं अउर सजा-संवार कर अपनी कविता में ढाल देती हैं. यह एक अद्दभूत क्षमता है अउर मैं आपके इसी क्षमता का कायल हूँ.
अव्यक्त-भावनाओं से मैं आपकी हरेक रचनाओं को पढ़ता हूँ क्यूंकि इनमें मुझे समाज की वो सच्ची अभिव्यक्ति मिलती है जो बहुत ही कम रचनाओं में मिल पाती है.
एक सुझाव दूंगा शायद आप इसे आत्मसात करते हुए मूर्त रूप देने की कोशिश करें.....आप अपनी कविताओं का संग्रह अति शीघ्र तैयार करें.
"इक रात की दुल्हन "
ReplyDeleteagain i read out today
realy nice words
u write beutifully
alka ji poora ka poora haal-e-dil in chand paanktiyon mn kah daala.....sach ek preyasii ki virah-vedna itne sundar shabdon mn.,..... its really nice and straight from the heart....please keep up the good work......
ReplyDeletewah kya bat hai its really nice
ReplyDeleteअलका,
ReplyDeleteमनोभावों को व्यक्त करना जितना सहल है,
मन की व्याकुलताओं को बयाँ करना उतना ही कठिन.
आप की इस कृति को पढ़कर मैं आपकी संवेदना और अभिव्यक्ति का कायल हो गया.